Page 6 - Digital Aarti Sangrah
P. 6
व लाची आरती (युगे अ ावीस)
युगे अ ावीस, वटेवरी उभा।
वामांगी रखुमाइ , दसे द शोभा।
पुंड लकाचे भेटी, पर आले गा।
चरणी वाह े भीमा, उ री जगा।
जय देव जय देव, जय पांडुरंगा, हो ह र पांडुरंगा।
रखुमाइ व लभा राइ या व लभा, पावे जवलगा।
जय देव जय देव॥ ु.
तुळसीमाळा गळा, कर ठेवुनी कटी।
कांसे पीतांबर, क तुरी ल लाटी।
देव सुरवर न य, येती भेटी।
ग ड हनुमंत पुढे उभे राहती।
जय देव जय देव...॥१॥
ध न वेणुनाद , अनु े पाळा।
सुवणा ची कमळे, वनमाळा गळा।
राइ रखुमाबाइ , राणीया सकळा।
ओवा ळती राजा, वठोबा सांवळा।
जय देव जय देव...॥२॥
ओवाळ आर या, कु व डो न सोडु न देती।
ू
चं भागेम ये नाने जे क रती।
द ा पताका वै णव नाचती।
पंढरीचा म हमा, ारेकाचा म हमा वण वा कती।
जय देव जय देव...॥३॥
आषाढी का त क , भ तजन येती हो, साधुजन येती।
चं भागेम ये नाने जे क रती।
दश नमा े तया होय, मु ती।
के शवो न नामदेव माधवाशी नामदेव भावे ओवा ळती।
जय देव जय देव...॥४॥

